Tuesday, December 17, 2013

दामिनी कि प्रथम पुण्य तिथि पर

दामिनी तुमको हम
हमारा देश और
सम्पूर्ण संसार
भला कैसे भूल सकता है  ,
तुम तो दिशा थीं 
आने वाले तूफ़ान की
महाविभीषिका थी 
सम्पूर्ण मात्र शक्ति हेतु 
भूमण्डल की स्त्री जाति  हेतु 
दैवीय प्रतिपदा थी,
तुम्हारी प्रेरणा एक
जागृति की चेतना थी 
नारी जाति में विलुप्त
,वेदना को चेतावनी थी
तुम्हारी आहुति के बाद
रणभेरी का बिगुल बजा दिया
प्रत्येक बलात्कारी को
सूली पर चढाने का
परचम फहरा दिया ,
तुम्हारे हेतु कुछ ना कर सके
मात्र एक दीपक जला दिया
तुम्हारी इच्छा को शिरोधार्य कर
पूर्ण करने का प्रण ले लिया |












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