Friday, January 17, 2014

घड़ा

"घड़ा" जी हाँ ये वो ही घड़ा है जो महागर्मी में भी हमको ठंडा पानी देता है ,अब ज़रा सोचिये कितनी विषम परिस्तिथियों से गुजरने के बावजूद भी इसका धैर्य ,इसका गुण ,इसकी शक्ति ,इसकी पराकाष्ठा ,इसकी आयु ,इसकी सौंदर्यता इसकी शीतलता ,इसकी पवित्रता तो देखियें |
घड़ा एक प्रकार कि तालाब से लाइ हुए चिकनी मिटटी से बनता है जिसे हैम महागंदी भी कह सकते हैं क्योंकि आप भलीभांति जानते हैं कि तालाब में लोग और जानवर क्या क्या करते हैं परन्तु फिर भी है तो पवित्र ही ,
उस मिटटी को थापिया से कूट कूट कर बारीक  किया जाताचाक पर रखकर  सोचिये कितनी मार पड़ती होगी उसकी विनम्रता देखिये |
उसके बाद उसको पानी से पूर्णत:भिगोकर मलीदे कि भाँती चिकना बनायंजाता है यहाँ भी उसे कष्ट झेलना पड़ता है
उसके बाद उसे कडा किया जाता है और जिसके जिसके लिए भी उसे मार झेलनी पड़ती है
और फिर उसे चाक पर रखकर पूरे जोर से घुमाया जाता है और वो भी ऐसे कि यदि आदमी को भी घुमाया जाए तो वो चक्कर खाकर गिर जाय और प्राणांत हो जाय पर शक्ति और पराकाष्ठा है जो डिगती नहीं ,फिर उसमे गर्दन जोड़कर उसकी सौंदर्यता  को बढ़ाया जाता है फिर उस पर फूल पत्तियाँ बनाई जाती हैं
फिर उसको दो चार दिन धुप में सुखाया जाता है और जब सूख जाता है तो उसे बाहर बड़े बड़े आकारों में एकत्रित कर लगाया जाता है और फिर उसके ऊपर  बहुत सारी लकड़ी ,उपले ,और भी भांति भांति का सामान लगाकर जलाया जाता है और लगभग ८ दिन आग की   पूर्ण भट्टी में पकने के बाद बाहर निकल जाता है और फिर लोग खरीद कर ले जाते है और साफ़ शुदकरके उसमे जल भर दिया जाता है जो पूर्ण गर्मी में एक दम ठंडा थार  शुद्ध शीतल जल हमको[पीने को मिल जाता है इसीलिए इसे देशी फ्रिज भी कहा जरा है तो हमारा मुख्य उद्देश्य था ये बताना कि जब एक मिटटी का घड़ा इतनी विषम स्तिथियाँ से गुजरने के पश्चात भी हमको क्या सम्पूर्ण मानव समाज को शीतल जल प्रदान कर सकता है तो फिर एक आदमी छोटे मोटे ,मामूली दर्दों ,दुःख सुखों परेशानियों को सहता हुआ मानव समाज कि सेवा क्योँ नाहीं कर सकता
तो आओ हैम सब संकल्प लें कि हमारे जीवन में चाहे कितने ही उतार चढ़ाव हों पर हैम भी घड़े  कि भाँती सम्पूर्ण समाज को अपने कर्मों से शीतलता प्रदान करते रहेंगे |

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