वो कहती हैं कभी हम
बेजुबान हुआ करते थे
ठीक गधे की मानिंद ,
पर अब वो कहती हैं
हम बदजुबान हो गए हैं
ठीक आदमी की मानिंद,
इतना फर्क आने का
आखिर ये माजरा क्या है
पहले तुम खफा थी हमसे
अब हम तुमसे खफा हैं
बेजुबान हुआ करते थे
ठीक गधे की मानिंद ,
पर अब वो कहती हैं
हम बदजुबान हो गए हैं
ठीक आदमी की मानिंद,
इतना फर्क आने का
आखिर ये माजरा क्या है
पहले तुम खफा थी हमसे
अब हम तुमसे खफा हैं
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