Saturday, June 14, 2014

गुजरात और मुख्य मंत्री श्री नरेंद्र मोदी

गुजरात प्रदेश को पहले सौराष्ट्र कहा जाता था ,क्योँकि ये प्रदेश भारत में सभी राज्यों से ज्यादा समृद्ध था ,
उसका कारण था यहां की जनता की  व्यापारिक मानसिकता और वो भी उच्च स्तरीय ,और उसी का कारण है की आज भी  गुजरात में बहुत बड़े बड़े उद्योगों की स्थापना और दिन  प्रतिदिन उन्नति के मार्ग पर प्रशस्त होना
दरअसल गुजरात की जनता बहुत ही संवेदनशील ,विनम्र ,बुद्धिमान ,दूरदर्शी ,सदा जीवन उच्च विचार रखने वाली  पूर्णत: धार्मिक परवर्ती ,और काम करने के अलावा अथवा धन एकत्रित करने के अलावा वो किसी और भी अपने को ना भटकाने वाली ,उसे राजनीति से कुछ लेना देना नहीं ,कौन क्या कर रहा है और क्या नहीं कर रहा ,उसे मात्र अपने काम से काम है ,फजूल की बातों में समय बर्बाद नहीं करती ,वहाँ पर २००१-२ के दंगों से पहले हिन्दू मुस्लिमों में कोई मतभेद नहीं था ,ये सबकुछ जो भी हुआ सब राजनीतिज्ञों और नेताओं के कारण हुआ ,वरना ऐसा भी कुछ नहीं होता ,उनके गाँव ,नगर या शहर में बिजली ,पानी है या नहीं है ,या कौन कितना चन्दा मांग रहा है ,कौन सरकार कितना टैक्स लगा रही है वो कोई खास मुद्दा नहीं मानते वो तो देखते हैं की वो क्या बचा रहे हैं ,जो उनके पास आता वो दे देते हैं ,लड़ाई झगड़ों में वो नहीं पड़ते ,और लगभग सभी गुजराती लखपति तो होते ही हैं ,व्यसन इनको दूर दूर तक छो नहों पाते ,शराब जैसी चीज को ये हाथ तक नहीं लगाते ,इसी वजह से आज भी गुजरात में शराब पूर्णत; प्रतिबंधित है |
दूसरा कारण एक छोटा प्रदेश है जहां पर मात्र २६ लोकसभा की सीट्स हैं तो इतने छोट से प्रदेश  और वो भी सुख समृद्धि से संपूर्ण तो इस छोटे से प्रदेश को संभाला है मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ,काश उन्होंने  उत्तर प्रदेश ,बिहार या मध्यप्रदेश अथवा राजस्थान सभाला होता तो शायद जो मुश्किलें आज उनके सामने आ रहीं है आदि उनसे रूबरू नहीं होना पड़ता यदि होते भी तो निजात पा लेते ,
पर अभी तक देखने से तो मुझे लागतक है की

 गुजरात  जैसे प्रदेश को संभालना एक मामूली बात थी पर भारत जैसा देश जिसमे आज २९ राज्य हैं उनको संभालना मोदी जी के लिए मुस्किल तो नजर आता ही है और टेडी खीर भी है ,यदि उनके सहयोगियों ने पूरी तरह से साथ नहीं दिया तो उनके लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा क्योंकि एक राज्य के सामने एक देश की समस्याएं बहुत ही ज्यादा हैं,और वो भी ऐसा देश जहां का अपना खजाना खाली हो ,खुद मोदी जी के शब्दों में खजाने की हालत बहुत ही खराब है ,आज के के न्यूज़ पेपर टाइम्स ऑफ़ इंडिया में ,यानी की हमको ब्याज तक देने के लिए रुपया उधार लेना पड़ता है ,इससे बुरी हालत और क्या होगी ,उस देश को संभालना कोई खाला जी का खेल नहीं है फिर जहां पर भ्र्ष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है ,अरबों खरबों रुपया बाहर के बैंकों में पड़ा है ,आम आदमी किसी भी प्रकार का टैक्स देने को तैयार नहीं है ,बड़े से बड़ा आदमी टैक्स की चोरी करता है ,ज़रा सोचिये कैसे संभालेंगे मोदी जिन इस २९ राज्य वाले भारत देश को जिनको मात्र एक्सपीरियंस है एक विधायक का या एक मुख्य मंत्री का, मई तो उनको एक नै नवेली दुल्हन की तरह समझता हूँ क्योँकि वो जिस घर में जाती है उसे उस घर की चूल्हा चाकी का भी पता नहीं होता तो वो घर क्या खाक संभालेगी ,जय हिन्द .जय भारत










उनसे उनको रूबरू ना होना पड़ता

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