Tuesday, December 31, 2013

नव वर्ष २०१४ का आगमन

नव वर्ष की
अनुपम बेला पर
नव आदित्य का हो
आगमन ,
नव वृक्ष हों
नव कोपलें हों
कुञ्ज ही  कुञ्ज हों
बसंत से
खिला रहे चमन ,
सतकर्म करें
सम्पूर्ण वर्ष भर
प्रेम रुपी अमृत का
हम करें आचमन ,
चहुँ ओर
शांति व् सद्भाव हों
एक दूजे को करें
बार बार नमन: ,
समृद्धि ओर
शांति हेतु
निर्भीकता से
करते रहें परिश्रम ,
त्याग कर प्रमाद को
सत्य पथ को
क्योँ ना करें गमन ,
चाँद सितारे
सकुचा जाएँ
देख कर हमारा वतन ,
इंद्रा धनुष सी
देख कान्ति
हर्षित होते रहें
सम्पूर्ण जीवन |

No comments:

Post a Comment