Tuesday, October 29, 2013

कहावत

कृपणस्य वित्तं
नृपस्य चित्तं
स्त्री चरित्रम
दुर्जन मानवा मनोरथा
ना जानती देवा

यानि के कंजूस व्यक्ति के धन के बारे में ,राजा के ह्रदय कि बात ,स्त्री के चरित्र के बारे में और बुरे  व्यक्ति के ह्रदय में क्या है या वो क्या बुरा करने जा रहा है ,देवता भी नहीं जानते |

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