Wednesday, September 18, 2013

आखिर दंगे क्योँ होते हैं


 जब जब भी, जब भी कहीं
मुजफ्फर नगर की भांति
हिन्दू और मुस्लिम बंधुओं के
रक्त्पातीय दंगे होते हैं ,
उसके लिए  हिन्दू मुस्लिम
 गुंडे और आवारा ,बदमाश
 वहाँ की जनता और पुलिश
ऐसे कांडों से अनभिग्य होते हैं ,
क्योंकि वहाँ धुंआ नहीं होता
और आग लगाईं जाती है
ऊपर ऊपर से सुर्रियाँ चलाकर
दोनों और चोपड़ बिछाई जाती है,
हिन्दू नेता हिन्दुओं को भड़काते हैं
और मुस्लिम नेता मुस्लिमों को
धार्मिक और कट्टरपंथियों को
भांति भांति की घुट्टी पिलाते हैं ,
और फिर वो शुरू हो जाते हैं
गली कूंचे मुहल्लों को सुलगाते हैं
एक दुसरे का खून पीने को आतुर
पडोसी पडोसी के रिश्ते भूल जाते हैं ,
दो चार दिन में सब शांत हो जाते हैं
दोनों और से काफी  मर जाते हैं
फिर नेताओं का आना शुरू हो जाता है
पीड़ित कम रोता है ,नेता रोता ही जाता है ,
मरने वालों के प्रति सभी पार्टी नेता
अपनी संवेदना व्यक्त करते जाते हैं
सांत्वना  देते हैं सभी के कुटुम्बियों को
और एक दो लाख टेक फेंक जाते हैं |



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