Sunday, July 24, 2016

जिनको आज हम
पैरों से मसल रहे हैं
कभी वो हमारे सरफरोश  थे
पेड़ पर लगे थे तो शांत थे
जमी पर पड़े तो चरमरा रहे हैं
अपने अच्छे दिनों की कहानी को
महाभारत की भांति सुना रहे हैं
मरते दम तक भी अभिमान टूटेगा नहीं
 यही उपदेश देते देते शहीद होते जा रहे हैं ।

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