कहते हैं की अपना पेट तो कुत्ते बिल्ली ,कीड़े मकौड़े ,आधे अधूरे ,सभी भर लेते हैं परन्तु असली मनुष्य वही है जो पहले किसी दुसरे का पेट भरे और फिर अन्न जल ग्रहण करे ,गीता में भगवन कृष्ण ने भी यही कहा है कि(जो मनुष्य कमाई करके उससे यदि स्वयं ही अपना भरण पोषण करता है तो वो पाप को ग्रहण कर रहा है )और अंत में पाप का ही भागी होता है और फिर उसे पुनर्जन्म में कुत्ते बिल्ली ,कीड़े मकौड़ों और आधे अधूरे जैसा ही जीवन यापन करता है ,इसलिए आप और हम सभी मानव है हमको किसी भी प्रेरणा के स्रोत कि आवश्यकता नहीं बल्कि हम स्वयं उस ज्ञान को प्राप्त कर चुके हैं कि अब हम को क्या करना है क्योँकि प्रकृतिं,भगवान या धरती माँ का नियम है कि जो बोओगे वही काटोगे |
Thursday, April 30, 2015
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