जब भी कोई किसी को उधेड़ता है
तो सर्व प्रथम जिगर को टटोलता है
और जब वहां कुछ भी नहीं मिलता
फिर इधर ,उधर उंगलियां घुसेड़ता हैं
जब सब करने पर कुछ नहीं मिलता
तो फिर नाक मुंह भी सिकोड़ता है
फिर पश्चाताप के कारण उद्विग्न हो
फिर अपनी आत्मा को झिंझोड़ता है ।
मैंने लिख दिया है अब अनुमान लगाना आपका काम है की मैं क्या कहना चाहता हूँ
तो सर्व प्रथम जिगर को टटोलता है
और जब वहां कुछ भी नहीं मिलता
फिर इधर ,उधर उंगलियां घुसेड़ता हैं
जब सब करने पर कुछ नहीं मिलता
तो फिर नाक मुंह भी सिकोड़ता है
फिर पश्चाताप के कारण उद्विग्न हो
फिर अपनी आत्मा को झिंझोड़ता है ।
मैंने लिख दिया है अब अनुमान लगाना आपका काम है की मैं क्या कहना चाहता हूँ
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