मैं रोता रहा
उनकी चौखट पर सर पटक पटक कर,
शायद कभी वो
गले लगा लेंगे अपना सा समझकर ,
पर ठोकर मार दी
उन्होंने मुझे गैरों से भी बदतर समझकर ,
पर मैं बेगैरत था
जिद करता रहा खुद को नाचीज समझकर ।
उनकी चौखट पर सर पटक पटक कर,
शायद कभी वो
गले लगा लेंगे अपना सा समझकर ,
पर ठोकर मार दी
उन्होंने मुझे गैरों से भी बदतर समझकर ,
पर मैं बेगैरत था
जिद करता रहा खुद को नाचीज समझकर ।
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