इन्तजार में जो मजा है
वो इजहार में कहाँ
जो इजहार में मजा है
वो इकरार में कहाँ
जब इकरार ही कर दिया तो
फिर बेकरारी किस बात की
जब बेकरारी का हुआ ख़ात्मा
फिर मुहब्ब्त भी हुईं फना ।
वो इजहार में कहाँ
जो इजहार में मजा है
वो इकरार में कहाँ
जब इकरार ही कर दिया तो
फिर बेकरारी किस बात की
जब बेकरारी का हुआ ख़ात्मा
फिर मुहब्ब्त भी हुईं फना ।
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