मैंने अपनी ख्वाइशों को ताक़ पे रखकर
अपनी सब जमा पूंजी तुम पर खर्च कर
मूक बनकर बैठा डाक पेड़ पर उल्लू बनकर
बड़ा बन जाने पर तूने फर्ज निभाया अपना
हम मियाँ बीबी को वृद्धाश्रम में भेजकर ,
पर एक बात याद रखना मेरे प्यारे बेटे
जो तूने आज हमको दिया है बदले में
वो ही सीख रहे हैं तेरे बच्चे भी आज
अपने प्यारे दादा दादी की हालत देखकर
वो भी बदला देंगे तुझ को यहाँ भेजकर ।
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