इश्क़ एक जूनून है
इसके पट ना खोलिए
जो भी मजनू बन गया
उसके बर्तन बिक लिए
माशुकाओं के चक्कर में पड़
कितने ही अंदर हो लिए
बचे खुचे जो रह गए
वो सब कब्रों में सो लिए |
इसके पट ना खोलिए
जो भी मजनू बन गया
उसके बर्तन बिक लिए
माशुकाओं के चक्कर में पड़
कितने ही अंदर हो लिए
बचे खुचे जो रह गए
वो सब कब्रों में सो लिए |
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