आज बाबा कविवर स्वर्गीय ,नागार्जुन का जन्मदिन हैं ,( ३०जून १९११ )
इस उपलक्ष्य में एक कविता ,
मत खोजो
तुम मुझको
मैं आज भी
छिपा हुआ हूँ
शब्दों में ,
पुस्तकें खोल कर देखो मेरी
पाऊँगा
उनके अंत:स्थल में ,
मरा नहीं
मैं लीन हुआ हूँ
आत्मा के
सुन्दर आँचल में ,
तन दग्ध हुआ
आवश्यक था
शब्द नहीं बचे थे
मेरी श्वाँसों में
कांता प्रकाश चौहान