हम प्रेम के बोल बोलते हैं तो
निर्झर नीरज ही बरसता है
एक एक शब्द फुहारों से
सावन का सरवरा सा लगता है
प्रेयसी यदि साथ में हो तो
नृत्य को ह्रदय ललकता है
एक एक पैर की तालों से
नीरज भी छप छप करता है
शीश पर बूँद टपकने पर
ओष्ठों पर जलावतरण होता है
आचमन करने पर बूंदों का
मधु सम मीठा लगता है ।
निर्झर नीरज ही बरसता है
एक एक शब्द फुहारों से
सावन का सरवरा सा लगता है
प्रेयसी यदि साथ में हो तो
नृत्य को ह्रदय ललकता है
एक एक पैर की तालों से
नीरज भी छप छप करता है
शीश पर बूँद टपकने पर
ओष्ठों पर जलावतरण होता है
आचमन करने पर बूंदों का
मधु सम मीठा लगता है ।